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हम योग करते है , धारणाएं भी है ,फिर भी बाबा हमसे बात नहीं करते हम अकेले ही बातें करते हैं !

अनेक आत्माओं के मन में आता है ,बाबा हम से बात नहीं करते सिर्फ हम अकेले ही बात करते रहते हैं बाबा की वायब्रेशन हमें टच नहीं होते । तो इसका कारण है आत्मिक निराकारी स्थिती की कमी , निर्विकारी  स्थिती का अभाव । चेक करो हम सारा दिन में कितनी बार निराकारी स्थिती में रहे ?निराकारी बनना यानी वाईसलेस बनना । शांत ! पूर्णतः शांत ! संपूर्ण व्यर्थ से मुक्त ! देह के भान को भूल जाना । जो आत्माएं ज्यादा समय निराकारी स्थिती में स्थित होगी उनको ही बाबा की आवाज सुनाई देगी ।और वायब्रेशन की टचिंग होगी ।निराकारी स्थिती में ज्यादा समय वहीं आत्माएं स्थित रह सकती है जो आत्माएं संपूर्ण निर्विकारी है जिसने माया पर संपूर्ण विजय पायी है और उसके साथ साथ संपूर्ण निरहंकारी भी बनना जरुरी है । जिनका मैं और मेरापन पूर्णतः खत्म हो जाता है । उनका मन निर्मल हो जाता है ।  बुध्दी दिव्य बनती है  । उनको ही बाबा आवाज सुनाई देगी  और बाबा के वायब्रेशन टचिंग होंगे ।
ओम शांति

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साक्षी भाव

किसी के पार्ट को देख कर या सुन कर आश्चर्य नही खाना है।ईर्ष्या नही करनी है विश्व नाटक में हर आत्मा का पार्ट निश्चित है और उस समय उस अनुसार समय पर हर आत्मा कर्म करने के लिए बाध्य है। साथ ही सतयुग त्रेता में जो राजाई चलती है उसमे अनेक प्रकार के पद होंगें और दो युगों तक आत्मा के पार्ट में अनेक प्रकार के परिवर्तन होंगे।उतार~चढाव होगा।क्योकि सदाकाल एक जैसा पार्ट किसी का भी नही रहेगा। तो उस उतार~चढ़ाव के लिए वह आत्मा अभी वैसा ही पुरुषार्थ करेगी।इसलिए हमको किसी के पार्ट को देख कर या सुन कर आश्चर्य नही खाना है।ना ही किसको दोष देना है और ना ही किसी से ईर्ष्या,घृणा आदि करनी है।हमको हर एक का पार्ट और दृश्य साक्षी हो कर देखना है और अभीष्ठ पुरुषार्थ करना है।